काल की अवधारणा एवं भेद

काल: - 

"कालः सृजति भूतानि कालः संहरते प्रजाः" इत्यादि शास्त्र वचनों के आधार काल अनादि एवं अनंत रूप में होता है। मूल रूप से किसी भी एक नियम या परिभाषा में खंडन कर देना एक कठिन प्रयास है, तथापि शास्त्रकारों ने अपने - अपने सिद्धांतों के उपदेशों को सूक्ष्म रूप में प्रतिपादित किया है। परंतु कालविधान शास्त्र के कारण ज्योतिषशास्त्र में काल होने की अवधारणा सुव्यवस्थित एवं सूक्ष्मतम रूप में प्रतिपादित है। ज्योतिष शाशास्त्रानुसार काल को  दो भागों में विभक्त कर इसकी परिभाषा निश्चित रूप से बताई गई है। जिसमें काल के प्रथम भेद को भगवान का रूप स्वीकार कर सृष्टिकारक  एवं  'अन्तकृत' अर्थात लोक का संहारक तथा दूसरे को कलात्मक अर्थात गणना में प्रयुक्त काल कहा गया है। 

1. अन्तकृत (उत्पादक एंव संहारक)

2. कलनात्मक - (क) सूक्ष्म (अमूर्त)

                       (ख) स्थूल (मूर्त)

सूक्ष्म काल - 

सूक्ष्म कल की इकाइयों को यंत्रादि के द्वारा जानकर गणित में प्रयोग किया जाता है अतः सरलता पूर्वक अभ्यास नहीं होने के कारण सामान्य व्यवहार में अनुपयुक्त काल को सूक्ष्म या अमूर्त कल कहा जाता है। सूक्ष्म काल की लघुतम इकाई 'त्रुटि' तथा महत्तम इकाई  'लीक्षक' होती है। त्रुटि की परिभाषा करते हुए भास्कराचार्य ने कह है कि एक स्वस्थ मनुष्य को नेत्रों के पलक झपकने में जितना समय लगता है उसके 1/ 30 भाग को 'तत्पर' तथा तत्पर के 1/ 100 भाग को 'त्रुटि' कहते हैं।

अत: पलक झपकने के 1/30×1/100= 1/3000 भाग को त्रुटि कहते हैं। 

1 त्रुटि= सूची पद्मपत्र भेदन काल= 1 / 3240000 सेकेण्ड 

60 त्रुटि = 1 रेणु = 1/54000 सेकेण्ड

60 रेणु = 1 लव = 1/900 सेकेण्ड


60 लव = 1 लीक्षक 1/15 सेकेण्ड


60 लीक्षक = 1 प्राण = 4 सेकेण्ड


अमूर्त काल के विषय में पुराणों में कहीं-कहीं मतान्तर भी प्राप्त होता है।

स्थूल / गणना में प्रयुक्त काल-

अब तक आपने जाना की सूक्ष्म काल की बड़ी इकाई लीक्षक है तथा 60 लीक्षक का 1 प्राण / असु होता है जो (असु) स्थूल काल की सूक्ष्मतम इकाई है। अब आप स्थूल काल के अन्य मानको को जानेगें-

किसी स्वस्थ मनुष्य के श्वास ग्रहण में व्यतीत अथवा दश दीर्घाक्षर के उच्चारण में लगने वाले काल को प्राण या असु कहा जाता है। शेष इकाईयाँ निम्नलिखित हैं- 

1प्राण = 10 दीर्घाक्षरोच्चारण काल = 10 विपल = 4 सेकेण्ड

(1 दीर्घाक्षरोच्चारण काल = 1 विपल)

6 प्राण = 60 विपल = 1 पल = 24 सेकेण्ड

60 पल = 1 घटी (1 दण्ड/नाडी) = 24 मिनट

60 घटी = 1 नक्षत्र दिन 24 घंटा

30 दिन = 1 मास

12 मास = 1 वर्ष



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