संदेश

मार्च 30, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हिंदू कैलेंडर का वैज्ञानिक आधार और वर्तमान कैलेंडर

चित्र
 #हिन्दू_कैलेंडर की #वैज्ञानिकता का आधार  आज वर्तमान में  संपूर्ण विश्व में ग्रेगोरियन कैलेंडर का उपयोग किया जाता है जो सूर्य के उदय अस्त पर आधारित है।  *ग्रेगोरियन कैलेंडर को 1582 में पोप ग्रेगरी XIII द्वारा शुरू किया गया था।    * यह जूलियन कैलेंडर का एक संशोधन था, जो पहले उपयोग में था, लेकिन बहुत सटीक नहीं था। *हिंदू कैलेंडर की वैज्ञानिकता खगोल विज्ञान और गणित पर आधारित है। यहां कुछ प्रमुख पहलू दिए गए हैं:  * चंद्र और सौर गणना:    * हिंदू कैलेंडर चंद्रमा और सूर्य दोनों की गति पर आधारित है। यह इसे अन्य कैलेंडरों से अधिक सटीक बनाता है, जो केवल चंद्रमा या सूर्य पर आधारित होते हैं।    * चंद्रमा की गति के आधार पर महीनों की गणना होती है, जबकि सूर्य के आधार पर साल की गणना होती है।  * नक्षत्रों का उपयोग:    * हिंदू कैलेंडर में नक्षत्रों का भी उपयोग किया जाता है, जो तारों के समूह हैं।    * नक्षत्रों की स्थिति का उपयोग शुभ और अशुभ समय निर्धारित करने के लिए किया जाता है।  * गणितीय सटीकता:    * हिंदू कै...

Karmesh bhav fal: कर्म भाव फल

चित्र
 हमारे जीवन में कर्म का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। बिना कर्म के कोई भी कार्य की प्राप्ति असंभव सी है। ईश्वर का यह शाश्वत नियम है कि जैसे कर्म करेगें वैसे फल की प्राप्ति होगी। यह वाक्य वेद,पुराण आदि ग्रन्थों वर्णित है। इस जगत में सभी चराचर जीव-जन्तु,प्राणि,मनुष्य कर्म के अधीन है। ज्योतिषशास्त्र में कर्मफल का विवेचन किया गया है। पूर्व जन्मकृत के आधार पर मनुष्य इस जन्म उचित-अनुचित कर्म करता है। जन्माङ्ङ्ग चक्र में दशवें भाव को कर्म भाव माना गया है तथा इस भाव के स्वामी को कर्मेश कह गया है। दशम भाव के स्वामी की विभिान्न भावों के साथ योग, दृष्टि व संबंध से व्यक्ति के कर्म क्षेत्र पर प्रभाव पड़ता है। इस लेख में आप विस्तार से जान पाएँगे कि कर्म व कर्मेश की भूमिका।  *कर्मेश अर्थात दशम भाव का स्वामी यदि लग्न में स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति कविता करने वाला, बाल्यकाल में रोगी पीछे सुखी और प्रतिदिन धन में वृद्धि करने वाला होता है। * यदि कर्मेश 2,3,7 भावों में हो तो व्यक्ति मनस्वी, गुणी, बुद्धिमान और सत्य बोलने वाला होता है।  *यदि कर्मेश चौथे व दशम भाव में हो तो व्यक्ति, ज्ञानी, सुखी, वि...