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@पितृ पक्ष में श्राद्ध का महत्व

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  सनातन धर्म में श्राद्ध का महत्व      जाने अनजाने कुछ ऐसे कर्म हो जाते हैं जिन्हें सामाजिक, धार्मिक तथा मानवता के आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता है l सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य द्वारा किए जाने वाले कर्मों को दो श्रेणी में विभक्त किया गया है पहलाह वे कर्म जो सब के हित के अनुसार हो, किसी को किसी प्रकार का कष्ट न पहुंचे ऐसे कर्म को पुण्य कर्म कहा जाता है l पुण्य कर्म का फल स्वर्ग माना गया है। स्वर्ग जहां सभी दिव्य आत्माओं एवं देवताओं का वास होता है तथा जहां जन्म - मृत्यु के चक्र से मुक्त रहते हैं, जहां शोक,व्याकुलता,संतान जैसी व्याधि न हो। द्वितीय पाप कर्म वे कर्म होते हैं जिनके द्वारा मनुष्य जीवन अथवा जीवजंतु तथा कोई प्राणी कष्ट उठाता है।  शास्त्रों में पाप कर्म का फल नरक बताया गया है। नरक का वर्णन गरुड़ पुराण तथा अन्य धर्म शास्त्रों में इस प्रकार से आया है कि मरने के बाद जब कोई आत्मा जीव का परित्याग कर देती है तो कर्म के आधार पर उस मृतात्मा को कर्मानुसार स्वर्ग या नरक की प्राप्ति होती है। पाप कर्म आत्मा को नरक में यमराज के दूत रस्सी में बाँध कर कोड़े (चा...