#वेदों की वाणि
जो परब्रह्म परमात्मा अपने निराकार स्वरूप में रूप रंग आदि से रहित होकर भी सृष्टि के आदि में किसी अज्ञात प्रयोजन से अपनी स्वरूप भूत नाना प्रकार की शक्तियों के संबंध से अनेक रूप रंग आदि धारण करते हैं, तथा अंत में यह संपूर्ण जगत जिन में विलीन हो जाता है अर्थात जो बिना किसी अपने प्रयोजन के जीवों का कल्याण करने के लिए ही उनके क्रमानुसार इस नाना रंग रूप वाले जगत की रचना,पालन और संहार करते हैं वह परम देव परमेश्वर वास्तव में एक अद्वितीय हैं उनके अतिरिक्त कुछ नहीं है वह हमें शुभ बुद्धि से युक्त करें।