ग्रहों के शत्रु मित्रादि Planets Friend and enemy
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प्रिय पाठकों को नमस्कार! मैं आपको ग्रहों के मित्र, शत्रु आदि का ज्ञान इस लेख के माध्यम से कराऊंगा। जब हम ग्रह के प्रभाव को बारीकी से समझते हैं तो मालूम होता है कि दृष्टि के माध्यम से या अपने संचरण के माध्यम से हो, वस्तुतः ग्रह हमें तीन प्रकार से प्रभावित करते हैं। 1 मित्रवत,2 शत्रुवत,तथा 3 तटस्थ। तात्पर्य यह है कि ग्रह या तो मित्रवत हमारा सहयोग करेगा या शत्रुवत पीड़ा देगा। तटस्थ ग्रह जिन ग्रह के प्रभाव में होगा उन ग्रहों के गुणानुसार अपना प्रभाव प्रगट करेगा। अनुकूल ग्रह, प्रतिकूल ग्रह, शुभ फल देने वाला, अशुभ फल देने वाला आदि सभी बातें इन्हीं उपयुक्त कर्म से निर्धारित होती है अतः इस भाग में हम कुंडली में मित्र आदि सम्यक ज्ञान प्राप्त करेंगे। ग्रहों के शत्रु मित्रादि हमारे मनीषियों ने ग्रहों के नैसर्गिक मित्र, शत्रु व सम ग्रहों का निर्णय किया है। नैसर्गिक का भावार्थ यह है कि प्राकृतिक रूप से ग्रह किसका मित्र है, किस का शत्रु है। स्वे: समो ज्ञःसितसूर्यपुत्रावरी परे ते सुहृदो भवेयुः। चन्द्रस्य नारी रविचन्द्र पुत्रौ मित्रे समः शेषनभश्चराः स्युः।। सभी...