विवाह: मुहूर्त
हिंदू धर्म में विवाह के लिए शुभ समय (मुहूर्त) का निर्धारण ज्योतिषीय गणनाओं, ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति, तिथि, लग्न, और योग पर आधारित होता है। विभिन्न मुहूर्त ग्रंथों, जैसे *मुहूर्त चिंतामणि*, *धर्मसिंधु*, और *पंचांग*, के अनुसार विवाह का समय दिन या रात दोनों में शुभ हो सकता है, बशर्ते शुभ मुहूर्त और लग्न की गणना सही हो। नीचे इस विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई है:
मुहूर्त शास्त्रों के अनुसार भाद्रादि आदि अन्य क्रूर दोषरहित विवाह - नक्षत्र के समय शुद्ध लग्न में विवाह कभी भी (रात्रि या दिन में) किया जा सकता है। इस विषय में जाति का कोई बंधन नहीं है। लेकिन मुहूर्तशास्त्रकारों ने परामर्श किया है कि विवाह रात्रि के समय किया जाए तो अपेक्षाकृत अधिक शुभ होता है क्योंकि यमघंट, यमदष्ट्रा, क्रकच आदि अनेक अशुभ योगों का प्रभाव दिन में ही होता है, रात्रि में नहीं - "दिवा मृत्युप्रदा: दोषास्त्वेषु न रात्रिषु "-(वशिष्ट:)
1. दिन में विवाह
शास्त्रीय दृष्टिकोण: हिंदू शास्त्रों में सामान्यतः शुभ कार्यों को दिन में करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि सूर्य की उपस्थिति को सकारात्मक ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है।
शुभ मुहूर्त:
*ब्रह्म मुहूर्त*: सूर्योदय से पहले का समय (लगभग 4:00 AM से 6:00 AM) अत्यंत शुभ माना जाता है।
*अभिजीत मुहूर्त*: दोपहर के समय (लगभग 11:30 AM से 12:30 PM) यह मुहूर्त सभी शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
*गोधूलि मुहूर्त*: सूर्यास्त के समय (शाम 6:00 PM से 7:30 PM) भी विवाह के लिए शुभ माना जाता है, खासकर जब अन्य मुहूर्त उपलब्ध न हों।
- **पौराणिक उदाहरण**: राम-सीता और अर्जुन-द्रौपदी जैसे विवाह दिन में ही संपन्न हुए थे, जो इस बात का प्रमाण है कि दिन में विवाह शुभ होता है।
*लाभ*: दिन में विवाह करने से सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा, कार्यों में स्पष्टता, और मेहमानों की सुविधा बढ़ती है।
2. *रात में विवाह*
*ज्योतिषीय कारण*: रात के समय कई शुभ योग, नक्षत्र, और लग्न बनते हैं, जो विवाह के लिए उपयुक्त होते हैं। उदाहरण के लिए, रोहिणी, मृगशिरा, और उत्तर भाद्रपद जैसे नक्षत्रों का संयोग रात में हो सकता है।
*चंद्रमा और ध्रुव तारा*:
चंद्रमा को शीतलता, शांति, और आत्मीयता का प्रतीक माना जाता है, जो वैवाहिक जीवन के लिए आवश्यक है। रात में चंद्रमा की उपस्थिति विवाह को और शुभ बनाती है। ध्रुव तारा, जो रात में दिखाई देता है, स्थिरता और अटूट रिश्तों का प्रतीक है। फेरे लेते समय ध्रुव तारे को साक्षी मानने की परंपरा उत्तर भारत में प्रचलित है।
*सांस्कृतिक परंपरा*: उत्तर भारत में रात में विवाह की प्रथा अधिक प्रचलित है, क्योंकि प्राचीन काल में दिनभर की रस्में पूरी होने के बाद फेरे रात में लिए जाते थे।
लाभ: रात में विवाह से शांति, एकाग्रता, और उत्सवी माहौल बनता है। साथ ही, मेहमानों के लिए रात का समय सुविधाजनक हो सकता है।
3. मुहूर्त ग्रंथों के अनुसार प्रमुख बिंदु
- *शुभ लग्न और नक्षत्र*: विवाह के लिए मिथुन, कन्या, और तुला राशियों के लग्न शुभ माने जाते हैं। नक्षत्रों में रोहिणी, मृगशिरा, उत्तर फाल्गुनी, उत्तर भाद्रपद, और हस्त विशेष रूप से अनुकूल है।
*शुक्र और बृहस्पति का उदय*:
विवाह के लिए शुक्र (वैवाहिक सुख का कारक) और बृहस्पति (ज्ञान और शुभता का कारक) का उदित होना आवश्यक है। इनके अस्त होने पर विवाह वर्जित है।
*सूर्य का गोचर*:
सूर्य का मेष, वृषभ, मिथुन, वृश्चिक, मकर, और कुंभ राशियों में गोचर शुभ माना जाता है। धनु मास (खरमास) और चातुर्मास में विवाह वर्जित हैं।
*शुभ योग*:
सौभाग्य योग और हर्षण योग विवाह के लिए मंगलकारी माने जाते हैं।
*तिथि*:
द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, एकादशी, और त्रयोदशी तिथियाँ विवाह के लिए शुभ हैं।
4. दिन बनाम रात: क्या अधिक शुभ है?:
शास्त्रों में कोई सख्त नियम नहीं: हिंदू धर्म के ग्रंथों में यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा गया कि विवाह केवल रात में या दिन में करना चाहिए। समय का चयन शुभ मुहूर्त, ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति, और स्थानीय परंपराओं पर निर्भर करता है।
*स्थानीय परंपराएँ*:
उत्तर भारत में रात में विवाह अधिक प्रचलित हैं, जबकि दक्षिण भारत और अन्य क्षेत्रों में दिन में विवाह भी आम हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, मुगल काल में सुरक्षा कारणों से रात में विवाह शुरू हुए, लेकिन यह शास्त्रों से प्रेरित नहीं है। शास्त्रों में दिन को प्राथमिकता दी गई है।
5. निष्कर्ष
हिंदू धर्म के मुहूर्त ग्रंथों के अनुसार, विवाह का शुभ समय दिन या रात दोनों हो सकता है, बशर्ते ज्योतिषीय गणनाएँ (लग्न, नक्षत्र, योग, और ग्रह स्थिति) अनुकूल हों। दिन में विवाह सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा और शास्त्रीय परंपराओं के अनुरूप होता है, जबकि रात में विवाह चंद्रमा और ध्रुव तारे की उपस्थिति के कारण शुभ माना जाता है। अंततः, शुभ मुहूर्त और स्थानीय परंपराएँ समय के चयन में निर्णायक भूमिका निभाती हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें