शुभ तथा अशुभ तिथियां एवं उनका स्वरूप क्या है?

                पंचांग में तिथि ज्योतिष का प्रथम एवं महत्वपूर्ण अंग है। सर्व प्रथम तिथि की रचना कैसे होती है ? और तिथि किसी कहते है ? जब चंद्रमा अपने विमण्डल में स्वगती से चलता हुआ जिस समय सूर्य के निकट पहुंचता है तब वह आमावश्य तिथि होती है। अर्थात आमावश्य के दिन सूर्य-चंद्रमा एक राशि पर आ जाते है। उसके बाद सूर्य एवं चंद्रमा दोनों अपने - अपने मार्ग पर घूमते हुए जो दूरी (12 अंश की ) उत्पन्न करते हैं, उसी को तिथि कहते हैं। 12-12 अंशात्मक अंतर की एक-एक तिथि होती है। 360 अंश पूरा होने पर सूर्य-चंद्रमा एक राशि पर आजाते हैं, तब एक चांद्रमास होता है। सूर्य चंद्र का 12 अंश अंतर पूरा करता है, उसको तिथि का भोगकाल कहते है। तिथि का अंतर जिस समय से प्रारंभ होता है, वह पंचांग में अंकित रहता है। तिथियों की संख्या 15 होती है जिनका नाम इस प्रकार से है- प्रतिपदा,द्वितीया,तृतीया,चतुर्थी,पंचमी, षष्टि, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा/ आमावश्य 

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