संदेश

#मृत्यु दायक योग

चित्र
 

प्रात:काल के मन्त्र

चित्र
 

तिथियों एवं वारों के संयोग से शुभ एवं अशुभ का विचार -

  तिथियों एवं वारों के संयोग से शुभ एवं अशुभ का विचार -      (पं. हेमवती नन्दन कुकरेती, ज्योतिषाचार्य ) १   मृत योग-    यदि रविवार को नन्दा यानि प्रतिपदा,षष्ठी एवं एकादशी तिथियां हो, सोमवार को भद्रा यानी द्वितीय,सप्तमी तथा द्वादशी तिथियां हो, मंगलवार को नन्दा यानी प्रतिपदा, षष्ठी तथा एकादशी तिथियां हो, बुधवार को जया यानी तृतीय, अष्टमी, त्रयोदशी तिथियां हो, बृहस्पतिवार को रिक्ता यानी चतुर्थी, नवमी, तथा चतुर्दशी तिथियां हो, शुक्रवार को भद्रा यानी द्वितीय, सप्तमी तथा द्वादशी तिथियां हो, और शनिवार को पूर्ण यानी पंचमी, दशमी तथा अमावस्या या पूर्णिमा तिथियां आती हो तो मृत योग बन जाता है।       २ दग्ध योग-  यदि रविवार को भरणी नक्षत्र हो, सोमवार को चित्रा नक्षत्र हो, मंगलवार को उत्तराषाढ़ हो, बुधवार को धनिष्ठा नक्षत्र हो, गुरुवार को उत्तरफाल्गुनी हो, शुक्रवार को ज्येष्ठा हो और शनिवार को रेवती नक्षत्र हो तो दग्ध योग होता है ।  ३ क्रकच योग-    षष्ठी आदि क्रम से तिथियों और शनि आदि उलटे वारों के योग से क्रकच नामक अधम योग ...

@मेष से कर्क राशियो का अगस्त2023 से दिसंबर 2023 तक का राशिफ

  मेष से कर्क राशियो का अगस्त2023 से दिसंबर 2023 तक का राशिफ ( पं. हेमवती नन्दन कुकरेती,ज्योतिशचार्य ) मेष –   राशि अगस्त मास में पारिवारिक चिंता रहेगी , आर्थिक स्थिति अनुकूल होगी , अपने पराक्रम से विशेष लाभ प्राप्त करेंगे , धार्मिक कार्यों में रुचि रहेगी , रुके कार्य बनेंगे। सितंबर मास में संपत्ति संबंधी कार्य बनेंगे , शत्रु पराजित होंगे , मित्रों से सहयोग मिलेगा , स्वभाव में कुछ तेजी भी रहेगी , कार्यों में सफलता प्राप्त होगी , आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी किंतु मानसिक उलझन भी बनी रहेगी। अक्टूबर मास में पारिवारिक चिंता रहेगी , आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी।  यात्रा की संभावना है , रुके कार्य बनेंगे , मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा। नवंबर मास में व्यय की अधिकता होगी किंतु कारोबार उत्तम रहेगा , मित्रों से सहयोग प्राप्त नहीं होगा , कार्यों में रुकावट भी इस अवधि में होगी , पारिवारिक चिंता भी रहेगी , इस अवधि में अपने को विवादों से दूर रखें । दिसंबर मास में शारीरिक पीड़ा संभव है , व्यय की अधिकता होगी किंतु आर्थिक लाभ की दृष्टि से भी समय अनुकूल है , पारिवारिक प्रसन्नता होगी,  मि...

शुभ तथा अशुभ तिथियां एवं उनका स्वरूप क्या है?

                पंचांग में तिथि ज्योतिष का प्रथम एवं महत्वपूर्ण अंग है। सर्व प्रथम तिथि की रचना कैसे होती है ? और तिथि किसी कहते है ? जब चंद्रमा अपने विमण्डल में स्वगती से चलता हुआ जिस समय सूर्य के निकट पहुंचता है तब वह आमावश्य तिथि होती है। अर्थात आमावश्य के दिन सूर्य-चंद्रमा एक राशि पर आ जाते है। उसके बाद सूर्य एवं चंद्रमा दोनों अपने - अपने मार्ग पर घूमते हुए जो दूरी (12 अंश की ) उत्पन्न करते हैं, उसी को तिथि कहते हैं। 12-12 अंशात्मक अंतर की एक-एक तिथि होती है। 360 अंश पूरा होने पर सूर्य-चंद्रमा एक राशि पर आजाते हैं, तब एक चांद्रमास होता है। सूर्य चंद्र का 12 अंश अंतर पूरा करता है, उसको तिथि का भोगकाल कहते है। तिथि का अंतर जिस समय से प्रारंभ होता है, वह पंचांग में अंकित रहता है। तिथियों की संख्या 15 होती है जिनका नाम इस प्रकार से है- प्रतिपदा,द्वितीया,तृतीया,चतुर्थी,पंचमी, षष्टि, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा/ आमावश्य 

#वेदों की वाणि

जो परब्रह्म परमात्मा अपने निराकार स्वरूप में रूप रंग आदि से रहित होकर भी सृष्टि के आदि में किसी अज्ञात प्रयोजन से अपनी स्वरूप भूत नाना प्रकार की शक्तियों के संबंध से अनेक रूप रंग आदि धारण करते हैं, तथा अंत में यह संपूर्ण जगत जिन में विलीन हो जाता है अर्थात जो बिना किसी अपने प्रयोजन के जीवों का कल्याण करने के लिए ही उनके क्रमानुसार इस नाना रंग रूप वाले जगत की रचना,पालन और संहार करते हैं वह परम देव परमेश्वर वास्तव में एक अद्वितीय हैं उनके अतिरिक्त कुछ नहीं है वह हमें शुभ बुद्धि से युक्त करें।

#Dhamu_rashi

चित्र