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@अंक ज्योतिष: बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं इस मूलांक के लोग, घूमने-फिरने के होते हैं शौकीन ।

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अंक ज्योतिष: बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं इस मूलांक के लोग, घूमने-फिरने के होते हैं शौकीन Numerology: अंक ज्योतिषशास्त्रियों के मुताबिक गजब कम्युनिकेशन स्किल्स होने के कारण ये जल्द ही लोगों से घुल-मिल इन लोगों का बौद्धिक स्तर काफी ज्यादा होता है जिस कारण लोगों की पंक्ति में इनकी अलग पहचान होती है Ank Jyotish:  ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार अंकों के जरिये भी लोगों के भविष्य को जानने की कोशिश की जाती है। कहा जाता है कि लोगों के जन्म तिथि का व्यवहारिक उपयोग करके लोगों की विचारधारा, जीवन के प्रति रवैया आदि के बारे में जानकारी मिलती है। बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में मुख्य रूप से राशि, ग्रह और नक्षत्र पर आधारित होते हैं। अंक ज्योतिष में भी नव ग्रह, बारह राशियां और 27 नक्षत्रों का अध्ययन किया जाता है। जानकारों के मुताबिक  मूलांक  5 परिवर्तन और साहस का अंक है। ये व्यक्ति जन्म से ही कलाकार होते हैं। इन्हें घूमने फिरने का काफी शौक होता है। बता दें कि जिनका जन्म किसी भी महीने की 5, 14, 23 तारीख को होता है, उनका मूलांक 5 होता है। इस मूलांक का स्वामी बुध होता है जिन्हें बुद्धि और ...

@जानिए पूर्व जन्म की बातें , पिछले जन्म में आप क्या थे ?

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 प्रिय दोस्तों,                         जैसा कि आप सभी को भलीभाँति ज्ञात होगा कि प्रत्येक व्यक्ति की अभिलाषा व प्रबल इच्छा होती है कि वह अपने पूर्व जन्म को जाने । मानव जीवन रहस्यों से भरा हुआ है और न जाने कितने रहस्य उसके हृदय व मस्तिष्क की अनंत गहरहियों में है ।                               ज्योतिष ने मानव जीवन को ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड के व इस जगत में चर-अचर जीवों का विस्तृत किया तथा मानव के लिए कठिन से कठिन अनसुलझे रहस्यों को उजागर किया । इस पृथ्वी में ही नहीं बल्कि पृथ्वी से बाहर अखिल ब्रह्मांड का भी अध्ययन किया तथा मानवीय जीवन के लिए अति सुलभ बनाया है। यह विश्व ज्योतिष शस्त्र  व उन मनीशियों का सदैव ऋणी रहेगा जिनके कारण एक पशु से मनुष्य बन पाए तथा गुफा से निकल कर अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को मापने के लिए तत्पर है।                        ...
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१२ राशियाँ व उनके नाम

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  १२ राशि व उनके नाम - १ - मेष  २ - वृष  ३- मिथुन  ४ - कर्क  ५- सिंह  ६- कन्या  ७- तुला  ८ - वृश्चिक  ९- धनु  १० - मकर  ११ - कुम्भ  १२- मीन 

राष्ट्रपति योग

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वास्तु दोष

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जानिए भद्रा को , क्या है ? कब अशुभ होती है ।

  भद्रा स्वरूप,विधि -निषेध  तथा परिहार   ( लेख - पं ० -हेमवती नन्दन कुकरेती ) भद्रा की उत्पति  कैसे हुई                     एक कथा आती है कि भद्रा सूर्य भगवान की पुत्री थी और इनकी माता का नाम छाया था तथा शनि देव की सगी बहिन है | भद्रा का स्वरूप काला ,रूप उग्र,केश लंबे तथा दाँत तीक्षण व विकराल हैं | कथा में वर्णन आया कि जब उसका जन्म हुआ तो वह संसार को निगलने के लिए दौड़ी तथा यज्ञों में विघन-बाधा डालने लगी,उत्सवों तथा मंगल कार्यों में उपद्रव करने लगी और सारे संसार को पीड़ा पहुँचाने लगी | भद्रा के विकराल रूप उदण्ड स्वभाव के फलस्वरूप संसार में कोई भी सुयोग्य वर उसे प्राप्त नहीं हो पाया तथा जगत के कोई भी  पुरुष उससे विवाह नहीं करना चाहते थे | भगवान सूर्य इस कारण अत्यधिक दुखी थे, तो उन्हे एक युक्ति सूझी कि क्यों न स्वयंबर का आयोजन किया जाय | स्वयंबर का आयोजन किया गया और इस आयोजन में तीनों लोकों के देव -दानव आए हुए थे | भद्रा ने आयोजन का मंडप,तोरण द्वार तथा आसन आदि सभी उखाड़ फेंका और आयोजन का विध्वंस किया | भद्रा के ...